कुलभूषण जाधव मामले मे अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाधव पाकिस्तान के कब्जे में है। हालांकि, जिन परिस्थितियों में उन्हें पकड़ा गया, उनपर विवाद हैं। पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने 10 अप्रैल 2017 को जाधव को सजा-ए-मौत सुनाई। भारत लगातार जाधव के कॉन्सुलर एक्सेस का मांग करता रहा। कोर्ट की इन बातों ने पाकिस्तान की हर दलील खारिज कर दी:
1. कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान का कानून के अनुसार जाधव के पास कोर्ट याचिका दायर करने के लिए 40 दिन का समय था। जाधव की मां ने 26 अप्रैल 2017 को याचिका दायर की थी, जो उसके समय सीमा के हिसाब से ठीक थे।
2. कोर्ट ने कहा कि भारत की दलील थी कि पाक ने विएना संधि का उल्लंघन किया है। जाधव को मौत की सजा पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि 1977 से ही भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस से जुड़े हुए हैं। कोर्ट ने संधि के आर्टिकल 36 के तहत भारत की दलील का सही माना, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है।
3. कोर्ट के अनुसार दोनों देशों ने माना की जाधव भारतीय हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा भारत को कॉन्सुलर एक्सेस मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टि में जाधव आतंकवादी या जासूस साबित नहीं होते। भारत ने लगातार कहा था कि उसके पास कॉन्सुलर एक्सेस का अधिकार है, जिससे पाकिस्तान लगातार इनकार कर रहा था।
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4. इसके अलावा कोर्ट ने पाकिस्तान की दलील खारिज करते हुए कहा कि दोनों ही देशों ने ऐसी कोई दलील ने दी जिससे दोनों मुल्कों के बीच की 2008 की द्विपक्षीय संधि के आधार पर विएना संधि को खारिज किया।
5. कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान कोई ऐसा कदम न उठाए, जिससे यह लगे कि जाधव मामले वो पूर्वाग्रह से प्रेरित है। कोर्ट ने माना कि जाधव की जान को खतरा है। कोर्ट ने चिंता जताई कि पाकिस्तान ने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई कि जाधव को फांसी नहीं दी जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया कि अंतिम फैसला आने तक जाधव को नहीं फांसी नहीं दी जा सकती।