सिविल अस्पताल में बने नशा छुड़ाओ केंद्र में करीब पंद्रह दिन पहले दाखिल हुआ एक नाबालिग युवक सेंटर से भाग गया है। ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मचारियों को चकमा देकर फरार होने की घटना ने सेंटर की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अबरोल नगर निवासी रजत के परिवारजनों को आज जैसे ही इस मामले का पता लगा तो वह नशा छुड़ाओ केन्द्र में पहुंच गए। परिजनों ने सेंटर के स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया। सिविल अस्पताल के एसएमओ ने कहा कि वह इस संबंधी पुलिस को सूचित कर दिया है और यदि स्टाफ की लापरवाही पाई गई तो ड्यूटी पर तैनात स्टाफ पर कार्रवाई भी करेंगे।
जानकारी के अनुसार करीब पंद्रह दिन पहले ही सेंटर में दाखिल हुए युवक की माता पूजा ने बताया कि उनके बेटे को नशे की लत लग चुकी थी। इसलिए उन्होंने बेटे रजत को नशा छुड़ाओ केंद्र में दाखिल करवाया लेकिन सेंटर में उसकी नशे की लत काबू में नहीं हो रही थी। इसलिए वह अपने बेटे को घर ले जाना चाहती थी। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही वह अपने बेटे से सेंटर में मिल कर गई थीं। मालूम हो कि इस घटना के बाद पुलिस, परिवार जन तथा अस्पताल प्रबन्धन लगातार रजत के मोबाइल नम्बर पर फोन करते रहे, परन्तु उसका फोन स्विच आफ आया।
सफाई करते समय सिक्योरिटी को दिया चकमा
जानकारी के अनुसार सुबह साढ़े आठ बजे नशा छुड़ाओ केन्द्र में सफाई का काम शुरू हुआ। जैसे ही सेवादार ने कमरे में पौचा लगाने के लिए वहां दाखिल मरीजों को एक ओर खड़े होने को कहा तो ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस जवान तथा एक पेस्को जवान को मुख्य गेट पर खड़ा कर दिया गया। पौचा लगाने के कारण रजत कमरे से धीरे-धीरे दरवाजे की ओर आना शुरू हो गया। दरवाजा खुला देख वह तत्काल पुलिस कर्मचारी को चकमा देकर वहां से फरार हो गया।
नशा छुड़ाओ केन्द्र में 14 युवक दाखिल
सिविल अस्पताल के एसएमओ डाक्टर भूपेन्द्र ¨सह ने बताया कि वर्तमान समय में 14 मरीज नशा छुड़ाओ केन्द्र में दाखिल हैं जबकि 600 से अधिक पीडित आज भी अस्पताल से नशा छुड़ाने की दवा ले रहे हैं। 1 जुलाई 2014 को शुरू 10 बैड के शुरू हुए इस अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते बाद में बीस बैड का बनाया गया।
नशा माफिया की बच्चों तक भी पहुंच
सिविल अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केन्द्र की इंचार्ज डाक्टर सोनिया मिश्रा के अनुसार आज नशे की गिरफ्त में बड़े-बड़े घरों के लड़के-लड़कियां व विद्यार्थी इलाज करवाने आ रहे हैं। नशा छुड़ाओ केन्द्र में लेक्चरार, सेना के जवान, पावरकॉम विभाग में तैनात कर्मी, केमिस्ट व विद्यार्थी ऐसे हैं जिनका इलाज नशा मुक्ति केन्द्र द्वारा चल रहा है।
भदरोया व चक्की दरिया बना नशे का गढ़
नशा छुड़ाओ केन्द्र के मरीजों के अनुसार पठानकोट व हिमाचल के बीच बसे भदरोया से उन्हें नशा मिलता है। शाम ढलते ही वे चक्की दरिया के पास पहुंच जाते हैं। उन्हें एक ग्राम हेरोइन पांच 5 हजार रुपये में सहज ही मिल जाती है।
पहले भी दो बार भाग चुका है युवक : एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. भू¨पदर ¨सह ने कहा कि रजत इससे पहले भी दो बार पहले ही भाग चुका है। मामला उनके ध्यान में आ गया है। उन्होंने अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू कर दी है। थाना डिवीजन नम्बर-1 पुलिस को भी सूचित कर दिया गया है।
जिला को नशा मुक्त बनाने का अभियान : एसपी
एसपी पठानकोट गुलनीत खुराना ने कहा कि जिला को नशा मुक्त बनाने के लिये एसएसपी के दिशा निर्देशों पर जिला पुलिस ने अभियान छेड़ रखा है। पुलिस की ओर से लगातार जागरूकता कैंप लगाकर लोगों को नशा से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
This is very bad news. Our Police did not done his job properly… thats why these things always happened…