रक्षा बंधन का पर्व हो और बहन को भाई की याद न आएं यह तो हो नहीं सकता। कच्चे धागो की डोर से बंधे भाई-बहन के प्यार और इस पावन रिश्ते से बढक़र कोई अन्य रिश्ता दुनिया में नहीं है।
बहन की मांगी हुई दुआएं मुश्किल घड़ी में भाई की रक्षा करती है। इसी अटूट रिश्ते के बंधन में बंधी एक अभागी बहन जालंधर निवासी अमृतपाल कौर अपनी शहीद भाई की स्मृतियां जहन में समेटे हुए भारत-पाक की जीरो लाईन पर बसे गांव सिंबल सकोल की बीएसएफ पोस्ट पर बनी 1971 के भारत पाक युद्ध में शहीद होने वाले अपने भाई की समाधि पर पिछले 43 वर्षो से राखी बांधती आ रही थी। मगर गत वर्ष भाई-बहन के इस अटूट बंधन के 44वें वर्ष पूरे होने से पहले ही बहन अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई।
वह दो महीने कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए पिछले 3 अगस्त को मौत के आगोश में चली गई। शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने की परंपरा को बरकरार रखते हुए गत वर्ष अमृतपाल कौर की चचेरी बहन अमितपाल कौर ने सिंबल पोस्ट पर जाकर शहीद भाई कमलजीत सिंह समाधि पर राखी बांधी थी, मगर इस राखी पर किसी कारणवश वह सिंबल पोस्ट पर शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने नहीं पहुंच सकी। लेकिन शहीद परिवारों का मान-सम्मान बहाल रखने वाली पंजाब की एकमात्र गैर राजनीतिक संस्था शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने एक नई परंपरा की शुरुआत करते हुए तथा शहीद नायक कमलजीत सिंह की बहन अमृतपाल कौर को दिये वचन का निर्वाह करते हुए सिंबल पोस्ट पर पहुंच कर शहीद कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांध उस परंपरा को बरकरार रखा। जिसकी शुरुआत अमृतपाल कौर ने 43 वर्ष पहले शुरु की थी।